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NCR के इस इलाके में ध्वस्त होंगे 2292 मकान, सरकार बनाकर देगी नए घर
NCR News: दिल्ली के नजदीकी तुलसी निकेतन योजना के अंतर्गत बने 2292 मकान जो अब जर्जर अवस्था में है उन्हे जीडीए ने ध्वस्त करने की योजना बनाई है। सरकार मूल आवंटि को नए घर भी बनाकर देगी। इसको लेकर कार्ययोजना पर काम चल रहा है।

NCR News: दिल्ली शहर के नजदीकी तुलसी निकेतन योजना के तहत बने मकान जो अब जर्जर हो चुके है उन्हे ध्वस्त करने की प्रक्रिया चल रही है। यह निर्णय गाजियाबाद डेवलेपमेंट अथॉरिटी द्वारा लिया गया है। नई कार्ययोजना के तहत, अथॉरिटी की ओर से एक सलाहकार की नियुक्ति की जाएगी जो इन तमाम कार्यों की देखरेख पर नजर बनाकर रखेगा।
दिल्ली के पास मकानों की मांग में इजाफा
तुलसी निकेतन योजना की शुरुआत गाजियाबाद डेवलेपमेंट अथॉरिटी ने वर्ष 1989-90 में की थी, इसके अंतर्गत 2004 ईडब्ल्यूएस और 288 एलआईजी मकान शामिल थे. कुल मिलाकर 2292 मकानों के साथ-साथ 60 दुकानें भी बनाई गई थी हैं. दिल्ली के होने के चलते, यहां के मकानों की मांग तेजी से इजाफा हुआ, लेकिन समय के साथ इनकी देखरेख ना होने के कारण अब ये जर्जर अवस्था में है.
20 हजार लोगों का आसरा बनी योजना
इस योजना के तहत बने मकानों में 20 हजार से अधिक लोग रहते हैं, लेकिन मकानों की हालत बेहद जर्जर है. दीवारों का प्लास्टर लगातार गिरने की घटनाएं भी सामने आ चुकी है, जिससे कई लोग घायल हो चुके हैं. इन घटनाओं को देखते हुए, जीडीए ने 2018 में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से सर्वे कराया था, इस रिपोर्ट में इन मकानों को रहने के लिए असुरक्षित बताया गया.
सर्वे रिपोर्ट के तहत मरम्मत की बजाय इन मकानों को तोड़ने की सिफारिश की गई थी. जिसके बाद, जीडीए ने इन मकानों को खतरनाक श्रेणी में डालकर नए निर्माण की कार्य योजना बनाई. वहीं यह योजना पहले सफल नहीं हो पाई. जीडीए ने एक बार फिर बहुमंजिला इमारतों के निर्माण की नए सिरे से योजना बनाई है.
डोर टू डोर सर्वे होगा
इस योजना के तहत, जीडीए नगर निगम व डूडा के साथ मिलकर डोर टू डोर सर्वे का कार्य करेगा. यह सर्वे सुनिश्चित करेगा कि कितने लोग मूल आवंटी हैं और कितने लोग पावर ऑफ अटार्नी या अन्य अनुबंध के तहत यहा निवासरत हैं.
इस दौरान, उन व्यक्तियों की सूची भी तैयार की जाएगी, जिनके पास मकान के स्वामित्व का कोई पुख्ता सबूत नहीं है. सूत्रों के अनुसार, यहां के मकान चार तरीकों से बिके हुए हैं.
रजिस्ट्री, पावर ऑफ अटार्नी, नोटरी और किराए पर. जीडीए के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, केवल रजिस्ट्री को ही मान्यता दी जाएगी. माना जा रहा है कि यहां 75 प्रतिशत लोग पावर ऑफ अटार्नी के माध्यम से मकान खरीदकर निवास कर रहे हैं.