क्या कर्मचारियों की पुरानी पेंशन स्कीम का विकल्प बनेगी GPS? जानें केंद्र सरकार का नया अपडेट
Agro Haryana, New Delhi : आंध्र प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए गारंटीड पेंशन सिस्टम (Guaranteed Pension System) लाने का ऐलान किया है.
इसे पुरानी पेंशन (OPS) और नए पेंशन सिस्टम (NPS) का मिश्रण बताया जा रहा है. एक्सपर्ट का मानना है कि यह पेंशन ओपीएस का विकल्प बन सकती है.
इसमें सरकार ने कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद गारंटी के साथ पेंशन देने का विकल्प दिया है. इसके अलावा भी कई ऐसी सुविधाएं हैं, जो पुरानी पेंशन से मेल खाती हैं.
आंध्र प्रदेश सरकार ने पिछले महीने विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया था. इसका नाम था आंध्र प्रदेश गारंटीड पेंशन सिस्टम विधेयक 2023. इसमें कुछ चीजें एनपीएस की शामिल की गई तो कुछ पुरानी पेंशन की सुविधाएं शामिल हैं.
इस स्कीम में कुछ नियम नए पेंशन सिस्टम के हैं तो कुछ पुरानी पेंशन सिस्टम के हैं. इसके तहत कर्मचारियों को पेंशन की सुरक्षा तो मिलेगी, लेकिन इसके लिए अंशदान भी करना होगा.
क्या है नए प्रस्ताव में
आंध्र प्रदेश विधानसभा में पारित प्रस्ताव के मुताबिक, सरकारी कर्मचारियों को गारंटीड पेंशन के लिए भी अपनी तरफ से अंशदान करना होगा. जैसा कि अभी एनपीएस में किया जाता है.
हालांकि, रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को उनकी आखिरी सैलरी का 50 फीसदी पेंशन के रूप में दिया जाएगा. ओपीएस में भी कर्मचारियों को उनकी आखिरी सैलरी का 50 फीसदी दिया जाता है. इसके अलावा अन्य कर्मचारियों की तरह रिटायरमेंट के बाद पेंशनधारकों को भी महंगाई भत्ता और महंगाई राहत दिया जाएगा.
क्यों कारगर बताई जा रही यह योजना
एक्सपर्ट का मानना है कि पुरानी पेंशन देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ाती है और इससे राजकोषीय घाटा भी काफी बढ़ जाता है. इसी वजह से साल 2004 में पेंशन सुधार के तहत एनपीएस लागू किया गया था.
पुरानी पेंशन में कर्मचारियों की तरफ से कोई अंशदान नहीं किया जाता है, जबकि एनपीएस में उनकी सैलरी का 10 फीसदी अंशदान होता है और सरकार की ओर से भी 14 फीसदी का अंशदान किया जाता है.
एक्सपर्ट के मुताबिक, नई पेंशन योजना के तहत अभी कर्मचारियों को उनकी आखिरी सैलरी की करीब 35 से 40 फीसदी राशि पेंशन के रूप में मिलती है.
चूंकि, ओपीएस में आखिरी सैलरी का 50 फीसदी मिलता है तो दोनों के बीच का गैप सिर्फ 10 फीसदी है. आंध्र प्रदेश सरकार ने इसी गैप को पूरा करने के लिए गांरटीड पेंशन योजना पेश की है.
इससे सरकारी खजाने पर ज्यादा बोझ भी नहीं आएगा और कर्मचारियों को पूरी सुरक्षा भी मुहैया कराई जा सकेगी. हालांकि, इसके लिए उनकी सैलरी से अभी किया जाने वाला कंट्रीब्यूशन जारी रहेगा.
एनपीएस का विरोध क्यों
दरअसल, नई पेंशन स्कीम पूरी तरह बाजार पर निर्भर है और इसमें मिलने वाला रिटर्न बाजार के अधीन होता है. अगर बाजार में गिरावट रही तो इन पैसों पर ज्यादा रिटर्न नहीं आएगा और कर्मचारी को मिलने वाला पैसा भी कम हो जाएगा.
एनपीएस के तहत रिटायरमेंट के बाद 60 फीसदी राशि एकमुश्त मिल जाती है, जबकि 40 फीसदी पैसों से एन्युटी खरीदना पड़ता है. इसी एन्युटी पर मिलने वाला ब्याज ही हर महीने पेंशन के रूप में दिया जाता है.
कर्मचा
री संगठनों की क्या प्रतिक्रिया
नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और ऑल टीचर्स इम्प्लइज एसोसिएशन (अटेवा) के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु पेंशन के आंध्र प्रदेश मॉडल पर भी ज्यादा उत्साही नहीं दिखे.
उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन के अलावा कुछ भी मंजूर नहीं. बुढ़ापे में यही हमारा सहारा बनती है. हमें और कोई मॉडल मंजूर नहीं है, सिवाए पुरानी पेंशन के.
अटेवा के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. राजेश कुमार का कहना है कि किसी भी आपदा या संकट की स्थिति में सरकारी कर्मचारी ही आम आदमी के लिए आगे आता है.
प्राइवेट कर्मचारियों की सैलरी भी सरकारी कर्मचारियों के भत्तों को देखकर तय की जाती है. लिहाजा हमें पुरानी पेंशन की सुरक्षा मिलना बहुत जरूरी है, ताकि हम और हमारा परिवार खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें.