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Vande Bharat Train: इस दिन पटरियों पर दौड़ेगी वंदे भारत स्लीपर, मिलेंगी ये खास सुविधाएं

Sleeper Vande Bharat: हाल ही में वंदे भारत स्लीपर को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। जिसके चलते अब बहुत जल्द वंदे भारत ट्रेन पटरियों पर दौड़नी वाली है। जिससे यात्रियों को बहुत सी सुविधाएं दी जाएगी तो आइए नीचे खबर में जानते है इस अपडेट से जुड़ी पूरी जानकारी...  

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इस दिन पटरियों पर दौड़ेगी वंदे भारत स्लीपर, मिलेंगी ये खास सुविधाएं  

Agro Haryana, Digital Desk- नई दिल्ली: भारत की सेमी हाई स्पीड ट्रेन (Semi High Speed Train) वंदे भारत एक्सप्रेस का जादू लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। लेकिन अभी तक इस ट्रेन की संख्या बहुत कम है। वैसे भी, इस ट्रेन को फिलहाल छोटे सेक्शन में ही चलाया जा रहा है।

इसकी वजह है कि इसमें सिर्फ बैठने के लिए ही सीट की व्यवस्था (Seating Arrangement) है, सोने के बर्थ वाली वंदे भारत (Sleeper Vande Bharat) नहीं बन पाई है।

लेकिन जल्दी ही इस ट्रेन में आप सो कर भी यात्रा कर सकेंगे। देश में ही स्लीपर वंदे भारत बनाने के लिए रेल मंत्रालय (Ministry of Railways) ने रेल विकास निगम लिमिटेड (Rail Vikas Nigam Limited (RVNL) के रूसी कंपनियों के साथ बनाए गए ज्वाइंट वेंचर काइनेट रेलवे सॉल्यूशंस (Kinet Railway Solutions) के साथ एक समझौता किया है।

क्या हुआ समझौता

रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों से मिली सूचना के अनुसार Kinet Railway Solutions भारत में ही स्लीपर वंदे भारत के 120 ट्रेन सेट बनाएगी। कंपनी के साथ इन ट्रेनों के अगले 35 वर्षों तक मेंटनेंस का भी कांट्रेक्ट हुआ है। मतलब कि इन ट्रेनों को मेंटनेंस के लिए रेलवे के कैरेज एंड वैगन (C&W) डिपार्टमेंट पर आश्रित नहीं रहना होगा।

कौन है काइनेट रेलवे सॉल्यूशंस

काइनेट रेलवे सॉल्यूशंस में भारत की एक कंपनी रेल विकास निगम लिमिटेड है। यह रेल मंत्रालय की ही कंपनी है। साथ ही इस ज्वाइंट वेंचर में रूस की मैट्रोवैगनमैश (Metrowagonmash (MWM) और लोकोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम (Locomotive Electronic Systems (LES) भी शामिल हैं।

MWM एक लोकोमोटिव और रेल उपकरण निर्माता कंपनी ट्रांसमैशहोल्डिंग JSC ग्रुप (Transmashholding JSC Group (Transmash) की सहायक कंपनी है।

क्यों महत्वपूर्ण है यह डेवलपमेंट

यह डेवलपमेंट इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूसी कंपनियों पर लगे अमेरिकी प्रतिबंध के बाद इस काइनेट रेलवे सॉल्यूशंस की व्यवहार्यता पर सवाल उठाया जाने लगा था। लेकिन अब सब कुछ ठीक होता नजर आ रहा है।

तभी तो यह समझौता हो पाया है। पहचान उजागर न करने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया "इसके साथ, इस साझेदारी की व्यवहार्यता के बारे में किसी भी चिंता को दूर कर दिया गया है।"

अमेरिका ने कब लगाया था प्रतिबंध

अमेरिकी वित्त मंत्रालय के फॉरेन एसेट कंट्रोल ऑफिस (OFAC) ने रूस के संस्थानों, इंडस्ट्रियल बेस, फाइनेंसियल इंस्टीच्यूशंस, टेक्नोलोजी सप्लायर्स आदि पर करीब 100 सेंक्शन लगाया था। जिन कंपनियों पर सेंक्शन लगा था, उनमें ट्रांसमैश भी शामिल है।

इसके साथ ही रूसी कुलीन आंद्रेई रेमोविच बोकारेव, उनकी पत्नी ओल्गा व्लादिमीरोवना सिरोवत्सकाया के नाम भी इस सूची में हैं। OFAC के एक बयान के अनुसार, बोकारेव ने ट्रांसमैश के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और रूस स्थित अन्य रेल-संबंधित विनिर्माण फर्मों के बोर्ड के मालिक हैं या उनमें कार्यरत हैं। काइनेट रेलवे सॉल्यूशंस ने उद्यम पर प्रतिबंधों के प्रभाव को कम कर दिया।

वंदे भारत ट्रेन सेट सप्लाई पर असर नहीं होगा

सेंक्शन का इंपैक्ट क्या होगा, इस बारे में ईटी ने काइनेट प्रेस सर्विस को एक मेल भेजा था। इस पर वहां से जवाब आया "किसी भी थर्ड कंट्री का प्रतिबंध भारत में वंदे भारत प्रोजेक्ट के रियलाइजेशन को प्रभावित नहीं कर पाएगा।

काइनेट इस कंट्रेक्ट के तहत अपने ओबलिगेशन या दायित्वों को पूरा करेगा।" उल्लेखनीय है कि वंदे भारत ट्रेनों का कांट्रेक्ट दिए जाने के तुरंत बाद भारतीय और रूसी भागीदारों के बीच बहुमत स्वामित्व को लेकर एमडब्ल्यूएम, एलईएस और आरवीएनएल के बीच कुछ दिक्कतों की खबर आई थी।

इसी विवाद के कारण भारतीय रेलवे के साथ कांट्रेक्ट पर हस्ताक्षर करने में सितंबर तक देरी हुई। हालांकि, बोलियां मार्च में ही खोली गईं थी। भारतीय रेलवे ने दिसंबर 2022 में वंदे भारत ट्रेन सेट के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं और उन्हें इस साल मार्च में खोला गया था।

 
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