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NHAI : टोल प्‍लाजा पर दिखाई हेकड़ी तो जाना पड़ सकता है जेल, NHAI ने जारी की नई गाइडलाइन्स

NHAI : राष्ट्रीय राजमार्गों पर लगे टोल प्लाजा पर वाहन चालकों और टोल कर्मियों के बीच होने वाले विवाद को खत्म करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने स्‍टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर सिस्टम शुरू किया है. चलिए जानते है इस खबर को विस्तार से 
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टोल प्‍लाजा पर दिखाई हेकड़ी तो जाना पड़ सकता है जेल
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Agro Haryana, New Delhi : राष्‍ट्रीय राजमार्गों पर बने टोल प्‍लाजा (Toll Plaza) पर वाहन चालकों और टोलकर्मियों में विवाद आम बात है. बहुत से मामलों में तो यह विवाद खून-खराबे तक पहुंच जाते हैं.

बहुत से वाहन चालक टोल बचाने के लिए बहाना बनाकर टोलकर्मियों से झगड़ा करते हैं. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने अब टोल प्लाजा पर संभावित हिंसा पर अंकुश लगाने के मकसद से स्‍टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी किया है.

एसओपी में सभी टोल प्‍लाजा पर्यवेक्षकों के लिए बॉडी कैमरा पहनना अनिवार्य किया गया है ताकि राहगिरों की अभद्रता को रिकार्ड किया जा सके और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके.

एनएचएआई ने टोल प्‍लाजा पर होने वाली हिंसा की शिकायत और एफआईआर तुरंत दर्ज करने की आवश्‍यकता को सभी राज्‍य सरकारों को समझाने का निर्देश भी क्षेत्रीय अधिकारियों को दिया है ताकि आरोपियों के खिलाफ बिना देरी किए कार्रवाई हो सके.

राष्ट्रीय राजमार्गों के टोल प्लाजा पर अक्‍सर पेमेंट को लेकर फसाद होता है. यूजर फीस का पेमेंट न करने, टोल प्लाजा पर लंबे समय तक इंतजार और फास्टैग रीडर की खराबी जैसे मसलों के कारण टोल बूथ अटेंडेंट्स और यात्रियों के बीच झड़पें होती रहती हैं.

उद्दंड यात्रियों से निपटने के तरीके भी बताए

 एनएचएआई की एसओपी में टोल प्लाजा कर्मचारियों को यात्रियों के बेकाबू व्यवहार से निपटने के तरीके के बारे में बताया गया है. अगर कोई वाहन चालक या यात्री खराब व्यवहार करता है या जोर से बोल रहा है.

तो लेन पर्यवेक्षक को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए. अगर कोई रोड यूजर टोल का भुगतान करने से इनकार करता है तो पर्यवेक्षक को विनम्रता से शुल्‍क देने पर जोर देना चाहिए. अगर फिर भी यूजर भुगतान नहीं करता है तो पुलिस बुलानी चाहिए और एफआईआर दर्ज करानी चाहिए.

जब भी कोई ऐसा विवाद हो और रोड यूजर के साथ लेन पर्यवेक्षक बात कर रहा हो तो वहां मौजूद अन्य स्टाफ सदस्यों की ओर से मोबाइल वीडियो कैमरों का उपयोग करके पूरे घटनाक्रम को रिकॉर्ड किया जाना चाहिए.

टोल प्लाजा ऑपरेटरों को हिंसा की किसी भी घटना की जानकारी 12 घंटे के अंदर परियोजना निदेशक को देने का निर्देश दिया गया है.

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