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Hill Station : दक्षिण भारत के ये हिल स्टेशन हैं बेहद खास, करीब से दिखता है बादलों का अद्भूत नजारा

अगर आपको भी हिल स्टेशन का नजारा पंसद है तो आप भी दक्षिण भारत में घूमने का प्लान बना सकते हैं. इन जगहों पर जाकर आप बादलों को बेहद करीब से देख सकते हैं. आइए नीचे खबर में जानते हैं इन खास जगहों के बारे में विस्तार से...

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Hill Station : दक्षिण भारत के ये हिल स्टेशन हैं बेहद खास, करीब से दिखता है बादलों का अद्भूत नजारा

Agro Haryana, New Delhi : कोडईकनाल दक्षिण भारत का स्विट्जरलैंड कहलाने वाला तमिलनाडु का प्रसिद्ध हिल स्टेशन है. ठंड यहां इतनी ही पड़ती है कि एक स्वेटर से काम चल जाये. रात में ठंड थोड़ी बढ़ जाती है. दक्षिण भारत के पहाड़ों की रानी कोडईकनाल जाने का कार्यक्रम बना तो मन बाग–बाग हो गया. 

तमिलनाडु में एक ओर आस्था का केंद्र मदुरै है, तो दूसरी ओर प्रकृति की स्वाभाविक छटा बिखेरता कोडईकनाल. चेन्नई से मदुरै पहुंचते शाम हो गयी. परिवार के साथ हम सबने रात में ही मीनाक्षी मंदिर का दर्शन करने का निर्णय लिया।

यहां शिव भी नटराज की मूर्ति के रूप में स्थापित हैं

यह मंदिर नौ गलियों के बीच है और हर गली में अनेक दुकानें हैं, जिनमें सुंदर मूर्तियां, कलाकृतियां, पूजा-सामग्री और मिठाइयां बिकती हैं. मंदिर के हर ओर भव्य गोपुरम हैं, जिनपर देवी–देवताओं की नक्काशीदार मूर्तियां हैं.

ऊपर से देखने पर पता चलता है कि यह मंदिर शहर के बीचोंबीच है, जहां पहुंचने के लिए चारों दिशाओं में मार्ग हैं. यहां मीनाक्षी देवी यानी मछली की आंख जैसी पार्वती देवी की प्रतिमा मुख्य है. यहां शिव भी नटराज की मूर्ति के रूप में स्थापित हैं.

इस मूर्ति की खासियत यह है कि इसमें शिव बाएं पांव के बदले दाएं पांव पर नृत्य करते दिखते हैं. रात की रौनक इतनी आकर्षक थी कि लाइन में खड़े रहने की कोई थकावट नहीं महसूस हुई।

दूसरे दिन मिनी बस से यात्रा का आनंद लेते हम कोडईकनाल निकल पड़े. पहाड़ी झरने और नयनाभिराम दृश्यों का आनंद लेते हुए. कोडईकनाल दक्षिण भारत का स्विट्जरलैंड कहलाने वाला तमिलनाडु का प्रसिद्ध हिल स्टेशन है. 

ठंड यहां इतनी ही पड़ती है कि एक स्वेटर से काम चल जाये. रात में ठंड थोड़ी बढ़ जाती है. पहाड़ की हर सीढ़ी पर बसे होटलों–घरों में जलती बत्तियां देख लगता है जैसे तारे जमीन पर उतर आये हों।

यहां प्राकृतिक झील, पिलर रॉक्स, पेरुमल पीक और हर्बल पीक भी देखने लायक हैं

बोटिंग क्लब और बॉटेनिकल गार्डेन तो दर्शनीय स्थान हैं ही. पहाड़ों के बीच बनी प्राकृतिक झील, पिलर रॉक्स, पेरुमल पीक और हर्बल पीक भी देखने लायक हैं. हर्बल पहाड़ जड़ी–बूटियों के पेड़ के लिए जाने जाते हैं जिनमें अलग–अलग रंगों की पत्तियां मन को मोह लेती हैं. कुछ ऐसे फूलों की प्रजातियां भी देखने को मिलीं, जो केवल यहां के ठंड में ही होती हैं।

यहां पहाड़ों पर बादलों का उतरना और झट बरस कर छूट जाना आम बात है

ड्राइवर–गाइड व्यू–पॉइंट को देखने का पर्याप्त समय देते हैं. सिल्वर वैली ऐसा ही एक पॉइंट था, जिसमें कटी–खड़ी ढालों के बीच इतनी गहराई थी कि पहाड़ों में भी बैरियर बना कर उन्हें ढक दिया गया है.

इस गहराई में जब बादल फंस जाते हैं, तो जल्दी निकाल नहीं पाते और देर तक पूरी घाटी में कुहासा छाया रहता है. पहाड़ों पर बादलों का उतरना और झट बरस कर छूट जाना आम बात है। इसलिए पर्यटक अपने साथ छतरी भी रखते हैं.

यहां सभी दर्शनीय स्थानों के पास गरम भुट्टे और मूंगफली की खूब बिक्री होती है

सभी दर्शनीय स्थानों के पास गरम भुट्टे और मूंगफली की खूब बिक्री होती है. यहां चॉकलेट खूब बनते हैं, क्योंकि कोकोआ की खेती बहुत होती है. यह लघु उद्योग की तरह घरों में बनाया जाता है. कभी एक साल में चावल की तीन फसलें होतीं थीं, पर अब पानी की कमी के कारण यह फसल एक बार ही होती है।

दक्षिण भारतीय व्यंजनों के साथ अब इन जगहों में उत्तर भारत के भी खाद्य– पदार्थ मिलने लगे हैं. अल्प समय में मदुरै–कोडईकनाल का ट्रिप बहुत अच्छा माना जाता है.

इन स्थानों पर जाने के लिए सभी साधन उपलब्ध हैं. चेन्नई से अनेक ट्रेनें मदुरै को जाती हैं. वैसे तो यात्रा अब किसी विशेष मौसम की मोहताज नहीं है. फिर भी बारिश के बाद का खुशनुमा मौसम सबसे अच्छा है।

कैसे पहुंचें

कोडईकनाल जाने के लिए निकटतम हवाई अड्डा मदुरै है, जो यहां से 120 किलोमीटर दूर है. निकटतम रेलवे स्टेशन कोडैक्कानल रोड है, जिसे कोडई रोड भी कहते हैं. मदुरै, कोयंबटूर, चेन्नई, बेंगलुरु जैसे शहरों से बसों या टैक्सियों से भी पहुंचा जा सकता है।

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