Agro Haryana

World's Largest Cemetery: ये है दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान, यहां दफ्न है लाखों मुसलमान, एक दिन में होते हैं 200 संस्कार

आप लोगों ने कब्रिस्तान तो बहुत से देखे होंगे। आज हम आपको एक ऐसे कब्रिस्तान के बारे में बताने जा रहे है जहां एक दिन में 200 लोगों को दफ्नाया जाता है। ये जुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान है। आइये जानते है इस कब्रिस्तान के बारे में विस्तार से
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ये है दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान, यहां दफ्न है लाखों मुसलमान, एक दिन में होते हैं 200 संस्कार
 

Agro Haryana, New Delhi  इंसान पैदा होता है और फिर मरता है. ये दोनों ही पहलू जिंदगी की सच्चाई है जिसे बदला नहीं जा सकता. मरने के बाद उनके परिवार के लोग इस बात का खास ख्याल रखते हैं कि उनका अंतिम संस्कार ऐसी जगहों पर हो जहां आत्मा को मुक्ति मिले और वो सीधे परमात्मा में जाकर मिले. यही सोच हर धर्म के लोगों की होती है. इस्लाम में भी लोगों को दफ्न किया जाता है और मरने वाले के लिए यही ख्वाहिश की जाती है कि वो अल्लाह के दर पर पहुंच जाए. इसी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए इराक के लोग अपने सगे-संबंधियों को एक कब्रिस्तान में दफ्न करते हैं जो वक्त के साथ इतना बड़ा हो चुका है कि उसे दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान (Sabse bada kabristan) माना जाता है. 

रॉयटर्स न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान इराक के नजफ (Najaf, Iraq) शहर में है. इसका नाम वादी अल-सलम है (Wadi al-Salam) जिसका अर्थ होता है 'शांति की घाटी' (Peace Valley). ये शहर शिया मुसलमानों के लिए पवित्र है और इसी वजह से यहां शिया मुसलमानों में अपने मृत सगे-संबंधियों को दफ्न करने की होड़ लगी रहती है. जब से उन इलाकों में इस्लामिक स्टेट का वर्चस्व बढ़ा है, तब से ये कब्रिस्तान भी बढ़ता जा रहा है. 

रिपोर्ट की मानें तो एक वक्त था जब यहां 80 से 120 लोगों का अंतिम संस्कार यहां किया जाता था. पर जब से इस्लामिक स्टेट का यहां कब्जा हुआ है, तब से ये कब्रिस्तान बढ़ता जा रहा है. कब्रिस्तान के एक इतिहासकार जिहाद अबु सैयबी ने बताया कि अब प्रतिदिन 150 से 200 लोगों को यहां दफ्न किया जा रहा है. यहां लाखों लोग दफ्न हैं. अब सवाल ये उठता है कि आखिर शिया मुसलमान यहां क्यों अपने परिजनों को दफ्न करना चाहते हैं? 

इस कब्रिस्तान के बिल्कुल पास उनके पहले इमाम अली बिन अबी तालिब का मकबरा है. वो पैगंबर मुहम्मद के दामाद थे. इसी वजह से लोग अपनों की कब्र को उनके मकबरे के पास बनाना चाहते हैं. इस्लामिक स्टेट से लड़ने के लिए अग्रिम मोर्चे पर जाने से पहले शिया अर्धसैनिक बल अक्सर अली के स्वर्ण-गुंबद वाले मंदिर का दौरा करते हैं, और अनुरोध करते हैं कि यदि उन्हें मार दिया जाए तो उन्हें उनके बलिदान के पुरस्कार के रूप में वादी अल-सलम में दफनाया जाए. 

रॉयटर्स की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक जैसे-जैसे भूमि दुर्लभ होती जा रही है, मानक 25 वर्ग मीटर के पारिवारिक दफ्न स्थल की लागत लगभग 5 मिलियन इराकी दीनार (3.3 लाख रुपये) तक बढ़ गई है, जो हिंसा बढ़ने से पहले उसी लॉट के लिए भुगतान की गई राशि से लगभग दोगुनी है क्योंकि आईएस ने 2014 में उत्तर और पश्चिमी इराक के बड़े हिस्से पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था. 

अक्सर पकी हुई ईंटों और प्लास्टर से निर्मित, कुरानिक सुलेख से सजाए गए, कुछ कब्रें जमीन के ऊपर की कब्रें होती हैं, जो उनके भीतर की संपत्ति को दर्शाती हैं. 

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