RBI Rule: लोन न भरने पर बैंक नहीं कर सकता बदसलूकी, जानिए आरबीआई के नए नियम
RBI Rule: लोन न भरने पर बैंक नहीं कर सकता बदसलूकी, जानिए आरबीआई के नए नियम
डिफॉल्टर को 60 दिन का नोटिस जारी करना अनिवार्य
ग्राहक को मिलता है एसेट का सही दाम पाने का हक
बैंक को लौटाने होगें बकाया पैसे
धमकाने की नहीं मिलती इजाजम
1. डिफॉल्टर को 60 दिन का नोटिस जारी करना अनिवार्य
90 दिन तक किस्त जमा न करने पर बैंक द्वारा लेनदार के खाते को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) में डाल दिया जाता है लेकिन ऐसे मामले में बैंक को पहले डिफॉल्टर को 60 दिन का नोटिस जारी करना अनिवार्य होता है। बैंकिंग कंसल्टेंट और पूर्व क्रेडिट काउंसलर वी.एन. कुलकर्णी के अनुसार , "अगर नोटिस पीरियड में ग्राहक भुगतान नहीं करता है तो बैंक एसेट की बिक्री के लिए आगे बढ़ सकते हैं. हालांकि, एसेट की बिक्री के लिए बैंक को 30 दिन और का पब्लिक नोटिस जारी करना पड़ता है. इसमें बिक्री के ब्योरे की जानकारी देनी पड़ती है."
2. ग्राहक को मिलता है एसेट का सही दाम पाने का हक
एसेट की बिक्री से पहले बैंक या वित्तीय संस्थान को एसेट का उचित मूल्य बताते हुए नोटिस जारी करना अनिवार्य है। जिसमें रिजर्व प्राइस, तारीख और नीलामी के समय का भी जिक्र करना जरूरी होता है। इंडियालेंड्स के एमडी व सीईओ गौरव चोपड़ा के अनुसार "उचित मूल्य का पता बैंक के वैल्यूअर लगाते हैं. अगर बॉरोअर को लगता है कि एसेट का दाम कम रखा गया है तो वह नीलामी को चुनौती दे सकता है." इस मामले में बॉरोअर को नया खरीदार खोजने का हक है. वह बैंक से नए खरीदार का परिचय करा सकता है.
3. बैंक को लौटाने होगें बकाया पैसे
इंडियालेंड्स के एमडी व सीईओ गौरव चोपड़ा के अनुसार अगर एसेट को कब्जे में ले भी लिया जाता है तो भी नीलामी की प्रक्रिया पर नजर रखनी चाहिए. लोन की वसूली के बाद बची अतिरिक्त रकम को पाने का लेनदार को हक है. बैंक को बकाया राशि ग्राहक को लौटानी होगी।
4. धमकाने की नहीं मिलती इजाजम
बैंक लोन की रिक्वरी के लिए एजेंटों की मदद ले सकते है लेकिन रिक्वरी एजेंट अपनी हद पार नहीं कर सकते है। लोन रिक्वरी एजेंट को किसी भी ग्राहक को धमकाने या जोर जबर्दस्ती करने का अधिकार नहीं है. वे ग्राहक के घर सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच जा सकते हैं. अगर एजेंट द्वारा किसी ग्राहक के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है तो ग्राहक इसकी शिकायत बैंक में कर सकता है।