Property Rights: ससुराल की प्रॉपर्टी पर पत्नी का होता है इतना हक, कोर्ट ने किया साफ

Agro Haryana News, Property Rights: एक महिला न सिर्फ बेटी या बहू होती है, बल्कि वह एक पत्नी भी होती है। समाज में महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में बहुत सारी बातें हो सकती है लोग अपने विचार भी रखते है लेकिन कानून ने महिलाओं को कई तरह के अधिकार दिए हैं। बहुत कम लोग इन अधिकारों को अच्छे से जानते हैं। आज हम महिलाओं को उनके प्रॉपर्टी से जुड़े अधिकारों के बारें में जानकारी देने वाले है।
कानून के मुताबिक न सिर्फ पहली पत्नी बल्कि दूसरी पत्नी को भी कुछ शर्तों के साथ अधिकार मिलते हैं। एक पत्नी को अपने पति की पैतृक संपत्ति में हिस्सा लेने का हक होता है। लेकिन इसके लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है।
तलाक और प्रॉपर्टी का इस तरह बंटवारा
तलाक का समय किसी भी जोड़े के लिए मुश्किल भरा होता है। पति-पत्नी न सिर्फ कानूनी लड़ाई लड़ते हैं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक तौर पर भी परेशान रहते हैं। सवाल उठता है कि अगर तलाक से पहले दोनों एक ही घर में रह रहे थे तो तलाक के बाद वह घर किसे मिलेगा? अगर प्रॉपर्टी या बैंक खाते में दोनों की साझेदारी है, तो उसका क्या होगा? आज हम आपको इसकी जानकारी भी देंगे।
पति के नाम पर है रजिस्टर्ड तो नहीं मांग सकती हिस्सा
यदि तलाक आपसी सहमति से होता है और प्रॉपर्टी पति के नाम पर रजिस्टर्ड है, तो पत्नी उसमें हिस्से की डिमांड नहीं कर सकती। मान लीजिए पति ने एक घर खरीदा जो उसके नाम पर है और पत्नी वहां रह रही थी तो तलाक के बाद पत्नी उस घर पर दावा नहीं कर सकती। भारतीय कानून कहता है कि प्रॉपर्टी पर वही हक रखता है, जिसके नाम पर वह रजिस्टर्ड है। ऐसी स्थिति में पत्नी अपने पति से गुजारा भत्ता (मेंटेनेंस) मांग सकती है लेकिन प्रॉपर्टी में हिस्सा नहीं ले सकती।
दोनों के नाम पर रजिस्टर्ड प्रोपर्टी में ऐसे मिलेगा हक
आजकल कई कपल प्रॉपर्टी को दोनों के नाम पर रजिस्टर कराते हैं। ऐसी संपत्ति में पति और पत्नी दोनों का बराबर हक होता है। तलाक के बाद दोनों अपनी-अपनी हिस्सेदारी पर दावा कर सकते हैं। लेकिन पत्नी को यह साबित करना होगा कि उसने प्रॉपर्टी खरीदने में पैसा लगाया था।
अगर पत्नी ने कोई योगदान नहीं दिया पर प्रॉपर्टी उसके नाम पर भी है तो भी उसे पूरा हक मिलना मुश्किल हो सकता है। वह उतना ही हिस्सा मांग सकती है जितना उसने खरीद में योगदान दिया हो। इसलिए महिलाओं को प्रॉपर्टी से जुड़े कागजात ठीक रखने चाहिए।
तलाक की प्रक्रिया चल रही हो तो जानिए क्या होगा प्रॉपर्टी का?
जब तक कोर्ट तलाक को मंजूरी नहीं देता तब तक पति-पत्नी का कानूनी रिश्ता बना रहता है। इस दौरान पति की संपत्ति पर पत्नी का हक रहता है। अगर पति इस बीच किसी और महिला के साथ रहने लगे या दूसरी शादी कर ले तो भी पहली पत्नी और उसके बच्चों का प्रॉपर्टी पर पूरा अधिकार होगा।
पति की प्रॉपर्टी पर पत्नी का इतना हक
पति की संपत्ति में पत्नी का बराबर का अधिकार होता है। लेकिन अगर पति ने वसीयत में पत्नी का नाम हटा दिया, तो उसका हक खत्म हो जाता है। इसके अलावा पति की पैतृक संपत्ति में पत्नी का हिस्सा होता है और वह अपने ससुराल में रहने का अधिकार रखती है।
दूसरी पत्नी का होगा ये हक
अगर कोई आदमी पहली पत्नी से तलाक लिए बिना दूसरी शादी करता है, तो दूसरी पत्नी और उसके बच्चों के अधिकार सीमित हो जाते हैं। हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत एक समय में एक से ज्यादा शादी वैध नहीं है। अगर पहली पत्नी की मृत्यु हो जाए या तलाक के बाद दूसरी शादी हो तो दूसरी पत्नी को सभी अधिकार मिलते हैं जिसमें पति की संपत्ति और पैतृक प्रॉपर्टी पर हक शामिल है। दूसरी पत्नी का अधिकार इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी शादी कानूनी रूप से सही है या नहीं।
कोर्ट के इस फैसले पर जरूर करें गौर
सुप्रीम कोर्ट ने राजेश बनाम शांता (2020) मामले में यह स्पष्ट किया कि यदि पत्नी शादी के बाद लगातार एक घर में रहती है और वहाँ अपनी सामाजिक व पारिवारिक पहचान बना लेती है, तो उसे "वैवाहिक घर" (Matrimonial Home) का अधिकार मिलेगा। इसका मतलब यह है कि भले ही संपत्ति पति के नाम पर हो, लेकिन पत्नी को तलाक तक उस घर में रहने का कानूनी हक होगा।
इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि पति तलाक के बाद पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इनकार करता है और महिला के पास कोई आय स्रोत नहीं है, तो वह हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 25 के तहत मासिक गुजारा भत्ता या संपत्ति के हिस्से की मांग कर सकती है।