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सास ससुर को मिले 5 खास अधिकार, नहीं चलेगी बहु की चिक चिक

Agro Haryana, High Court News:घरेलू ‌हिंसा के एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम आदेश देते हुए कहा …‘झगड़ालू प्रवृत्ति की बहू को संयुक्त घर में रहने का कोई अधिकार नहीं है और संपत्ति के मालिक उसे बेदखल कर सकते हैं।’ फैसले की इस लाइन को पढ़कर आपको लगेगा कि जरूर मामला सास-बहू की लड़ाई का होगा, जबकि यह मामला पति-पत्नी के बीच झगड़े का था, जिसमें न चाहते हुए भी 69 साल की सास और 74 साल के ससुर को बीच में आना पड़ा।

क्या है सास ससुर के पांच खास अधिकार

सवाल 1- यह पूरा मामला क्या था?
जवाब- मामला पति पत्नी के बीच झगड़े का था।

पति-पत्नी के बीच अक्सर लड़ाई-झगड़े होते थे। पति ने पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। पत्नी ने भी लोअर कोर्ट में केस दर्ज किया। सास-ससुर बेटे-बहू के रोजाना के झगड़े से परेशान हो गए थे। जिसके बाद बेटा घर छोड़कर किराए के मकान में शिफ्ट हो गया, लेकिन बहू अपने बुजुर्ग सास-ससुर के खिलाफ खड़ी रही। वह घर छोड़कर जाना नहीं चाहती थी। वहीं, सास-ससुर अपनी बहू को घर से निकालने चाहते थे। इसके लिए ससुर ने भी कोर्ट में याचिका दायर की थी।

सवाल 2- घर से निकाल देने के बाद बहू कहां जाएगी?

जवाब- ससुराल वाले ही दूसरी जगह रहने का इंतजाम करेंगे।

मौजूदा मामले में बहू जब तक शादी के बंधन में रहेगी उसे घरेलू हिंसा के अधिनियम की धारा 19(1) (एफ) के तहत दूसरा घर दिया जाएगा। मतलब साफ हैकि अगर बहू का तलाक नहीं हुआ है और सास-ससुर उसे घर से बाहर निकाल रहे हैं तो वो बहू को रहने की दूसरी व्यवस्था करेंगे। इसकी जिम्मेदारी सुसराल वालों की होगी।

सवाल 3- क्या सास-ससुर बहू को संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं?

जवाब- हां, कर सकते हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट के जज योगेश खन्ना ने कहा कि संयुक्त परिवार के घर के मामले में संबंधित संपत्ति के मालिक बहू को संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं। हालांकि, एक पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि घरेलू हिंसा से पीड़ित पत्नी को पति के माता-पिता (सास-ससुर) के घर में सिर्फ रहने का कानूनी हक है, लेकिन पति के बनाए घर पर पत्नी का अधिकार होगा।

सवाल 4- बहू का ससुराल की संपत्ति पर कब और कैसे अधिकार होता है?

जबाव- अलग-अलग हालात में अलग-अलग नियम हैं। इसे नीचे ग्राफिक्स के जरिए जानते हैं…

सवाल 5- दिल्ली हाईकोर्ट का पूरा फैसला क्या था?

जवाब – कोर्ट ने बहू की अपील को खारिज कर दिया। सास-ससुर के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा- बुजुर्ग सास-ससुर को शांति से जीने का हक है।वो अपने सुकून के लिए घर से बाहर बहू को निकाल सकते हैं। संयुक्त परिवार में संपत्ति के मालिक बहू को संपत्ति से भी बेदखल कर सकते हैं।हालांकि, जब बहू ने प्रॉपर्टी पर दावा किया था,तब ससुर ने साल 2016 में लोअर कोर्ट में अपने घर के कब्जे के लिए एक मुकदमा दर्ज करवाया था। जिसके अनुसार, वो संपत्ति के पूरे मालिक हैं और उनका बेटा (बहू का पति) किसी दूसरी जगह पर रहने लगा है।

वहीं दोनों बुजुर्ग अपनी बहू के साथ नहीं रहना चाहते हैं, क्योंकि बहू रोजाना लड़ती है। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा-19 के तहत आवास का अधिकार संयुक्त घर में रहने का एक जरूरी अधिकार नहीं है। खासतौर से उन मामलों में, जहां एक बहू अपने बुजुर्ग सास-ससुर के खिलाफ खड़ी हो।

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