Lalasar Sathri: 22 से 25 फरवरी को लालासर साथरी में होगी जम्भवाणी हरिकथा, 26 को युवा सम्मेलन

Agro Haryana News: (Lalasar sathri) हर साल की भांति इस साल भी फाल्गुनी मेले के पावन अवसर पर लालासर साथरी में 22 से 25 फरवरी को जम्भवाणी हरिकथा का आयोजन किया जाएगा। जानकारी देते हुए लालासर साथरी के महंत आचार्य स्वामी सच्चिदानंद (Swami Sachidanand) जी ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी फाल्गुनी मेले के पावन अवसर पर जम्भेश्वर धाम (jambheswar dham) लालासर साथरी में जम्भवाणी हरिकथा (jambhvaani harikatha) का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 26 फरवरी को लालासर साथरी में युवा सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। जिसमें बिश्नोई (Bishnoi) समाज के बड़े अधिकारी और समाज से जुड़ी राजनीतिक हस्तियॉ शिरकत करेगी।
दोपहर 12 बजे से शुरू होगी जम्भकथा
जानकारी देते हुए लालासर साथरी के महंत आचार्य स्वामी सच्चिदानंद (Swami Sachidanand) जी ने बताया कि जम्भवाणी हरिकथा दोपहर 12 बजे से शुरू की जाएगी। वहीं 25 फरवरी 2025 को लालासर साथरी में जागरण का आयोजन रखा गया है। जोकि रात्रि 8 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगा।
जानिए क्या है लालासर साथरी का इतिहास?
लालासर साथरी राजस्थान के बीकानेर जिले की नोखा तहसील में स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जो बिश्नोई पंथ के संस्थापक गुरु जम्भेश्वर जी के निर्वाण स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यह स्थान बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में, लालासर गांव से 6 किलोमीटर, और मुकाम से 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है。
गुरु जम्भेश्वर जी ने मिगसर वदि नवमी संवत 1593 (1536 ईस्वी) को लालासर में अपना भौतिक शरीर त्यागा था, जिसे बिश्नोई समाज ‘चिलत नवमी’ के रूप में मनाता है। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने हरी कंकेड़ी (एक विशेष वृक्ष) के नीचे निर्वाण प्राप्त किया, और वर्तमान में इस कंकेड़ी के चारों ओर पक्का चबूतरा बना हुआ है।
लालासर साथरी में अब एक भव्य मंदिर स्थापित है, जो बिश्नोई समाज के अष्ट धामों में से एक है। यहां चिलत नवमी के अवसर पर विशेष मेला आयोजित होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। इसके अलावा, मुकाम में लगने वाले मेलों के दौरान भी भक्तजन साथरी के दर्शन के लिए यहां आते हैं।