Vastu Shastra: वास्तु शास्त्र के इन नियमों को कभी न करें नजरअंदाज, दूर हो जाएंगे सभी दुख
Agro Haryana, Digital Desk- नई दिल्ली: वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है, जिसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण और आवासीय स्थल में संतुलन स्थापित करना है ताकि उस स्थल में रहनेवाले लोगों को सही ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि मिल सके.
हमारे चारों ओर उपस्थित प्राकृतिक तत्व और शक्तियां हमें वातावरण के संग हर दिन जोड़े रखते हैं. इस प्राकृतिक ऊर्जा को समझकर जीवन जीने से हम सुख, शान्ति और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं. वास्तु शास्त्र के नियमों को पालन करने से घर में पॉजिटिव ऊर्जा बढ़ता है और नेगेटिव ऊर्जा कम होता है.
वास्तु दोष -
वास्तु दोष के असर से मनुष्य अनेक परेशानियों का सामना करता है, खासकर जब उसकी ग्रह-दशा अशुभ होती है. वास्तु के नियमों का पालन करने से इस प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है.
अगर घर में अशांति महसूस हो, तो इसका मतलब है कि घर में वास्तु दोष हो सकता है. वास्तु दोष को दूर करने के लिए शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं, जिससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आ सकती है.
दिशा -
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का बहुत महत्व है. उत्तर और पूर्व की दिशा में खिड़कियां और दरवाज़े होने चाहिए, जिससे प्राकृतिक प्रकाश और हवा घर में आ सके. मंगल यंत्र की सही विधि से पूजन करना और उसे भवन के दक्षिण दिशा में स्थापित करना फायदेमंद है. भवन के उत्तर और पूर्व भाग को खुला रखना चाहिए.
भूमि का आकार -
वास्तु शास्त्र के अनुसार, चौरस (वर्गाकार) या आयताकार भूमि सबसे उत्तम मानी जाती है.
घर का लेआउट -
किचन को दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व में होना चाहिए. पूजा घर को ईशान कोने में स्थानित करना चाहिए. शौचालय को घर के उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम हिस्से में रखना चाहिए.
महत्वपूर्ण नियम -
वास्तु देवता का पूजन महत्वपूर्ण है. मुख्य प्रवेश द्वार पर शुभ प्रतीक चिन्ह लगाना चाहिए. कारखाने के मुख्य द्वार पर शुभ चिन्ह लगाना चाहिए. वास्तु संबंधित उपाय जैसे दक्षिणावर्त शंख, पारद शिवलिंग आदि का उपयोग करना शुभ माना जाता है.
रोजाना नंगे पांव घास पर चलने से ऊर्जा का संचार बेहतर होता है. घर में रोजाना गुगुल की धूप जलाना चाहिए. झाड़ू को सही तरीके से रखना और उसका सम्मान करना चाहिए.
घर के द्वारों की संख्या को सम रखना चाहिए और उसमें शून्य नहीं होना चाहिए. रसोईघर का आकार भी वास्तु के अनुसार चुना जाना चाहिए.